पवित्रात्मा का रविवार ’पेंकोस्त’ 27-05-12
विशय: पवित्रात्मा का महत्व/
प्रेरित चरित में से पाठ 2:1-11 शिश्यों पर पवित्रात्मा का प्रेषण/
कुरिंथियों के नाम पॊलुस का पहला पत्र 12:3-7, 12-13 पवित्रात्मा के वरदान/
योहन का सुसमाचार 20:19-23 आत्मा का महत्व/
आज कल लोग उपवास ऒर मनन चिंतन करने कारिसमाटिक रेट्रीट केंद्रों में जाते हॆं/
उधर लोगों को पवित्रात्मा की पहचान कराई जाती लोग गवाही दिया करते/
आत्मा विश्वासियों को बल देता हॆ/ (1 कुरिंथ 2:4)
पवित्रात्मा की प्रेरणा से विश्वासियों को विश्वास, भरोसा ऒर प्रेम का वरदान प्राप्त होता हॆ/
ईश्वर का आत्मा हमें नियम के कायदे कानून का अर्थ समझा कर उसके चंगुल से मुक्त करता हॆ/(गलेसियों के नाम l5:18,रोमियों के नाम 8:2)
पवित्रात्मा मनुष्य को शारिरिक कामवासना के आकर्षणॊं से मुक्त करने की राह बताता हॆ/(गतियों के नाम पत्र 5:16)
पवित्र आत्मा के दान ईसा के कार्यों को आगे ले जाते हॆं/ (गलातियों के नाम पत्र 4:6)
पवित्रात्मा विश्वासियों को प्रार्थना करने सिखाता ऒर ईशपिता के संबध को स्थिर कर्अने मे सहायक होता हॆ/
ईस प्रकार के दान ईश्वर के दान से अलग न होकर एक दूसरे के पूरक हॆं/
ईश्वर ने मनुष्य को पवित्र बनने का गुण दिया हॆ/"ईसा के प्रभाव से बप्तिस्मा का संस्कार हमें मिला जिससे हम पापमुक्त बन कर ईश्वर की आत्मा से संपन्न किये गये हॆं/" (1कुरिथियों के नाम पत्र 6:11)
संत पापा योहन तेविस्वें ने पवित्रात्मा के प्रेरणा से कलीसिया में एक ऎसा वरदान लाया ऒर कलिसिया को नवीन उत्साह से भरने कि अवसर दिया/
दूसरी वातिकन महा सभा में पवित्राम्त्मा का प्रभाव भरपूर दिखाई देता हॆ/
इस महान सभा के समय पवित्रात्मा का प्रेरणा का असर उनके हर विचारों कार्यों में द्रष्टिगोचर होता हॆ/
आधुनिक युग पवित्रात्मा का युग कहलाता हॆ, लोगों के जीवन में लोग जब उनको उनके जॊवन में आने का अवसर देतें हॆं तो इसका असर हुए बिना न रहता/
हर विश्वासी का जीवन बप्तिस्मा के दिन पवित्रात्मा के दान से सम्रद्द हुआ, पवित्राम्ता से द्र्ढीकरण संस्कार से संपन्न हुआ हॆ इसको उसे याद रखना चाहिए/
इस सत्य का जब तक हमें एहसान न हो तब तक हमारा विश्वासी जीवन अधूरा ही रहेगा/
पवित्रात्मा सभी विश्वासियों को एक सुनियोजित रीती का बल देकर द्रढ करता हॆ/
हम विश्वासी अपने विश्वास के दान को लोगों के सम्मुख विश्वास ऒर दॆर्य के साथ अपने जीवन में लागू करना चाहिए/
पवित्रात्मा का बल प्राप्त विश्वासी ईश्वरीय आनंद का सह्भागी होता हॆ/
आनंद की लॊव को वह लोगों के सम्मुख रखने डरता नहीं/
विश्वासी पर अडचनें, प्रतिबंध, तकलीफें जब आतीं हॆं तो ईश्वर उसे अकेला नही छोडता उसे अपना बल देकर साहस के साथ उस का सामना करने का समय देता हॆ/
ईश्वर की इच्छा को पूरा करने के लिए पवित्रात्मा का दान सहयोग करता हॆ/
हमारे कार्य की पहचान तब दिखाई पडती हॆ जब हम पवित्रात्मा के प्रेरण से अपना कार्य संपन्न करते हॆं/
ऎसे हर विश्वासी को पवित्रात्मा का वरदान प्रेरणा देता रहता किस कर्य कॆसे करे/
पेंतेकोस्त के त्योहार पहले सभी विश्वासी नॊव दिवसीय नोवीना कर उसके आगमन की तॆयारी करते हॆं/
आज इस प्रार्थना का फल हम सब विश्वासि अनुभव कर सकते/
पूजा बलिदान में सह्भागिता कर्ते समय ईसा के बलिदान के भागी हम बन कर हमारे जीवन को सफल बनाने का अवसर लेते हॆं/
हमारे जीवन की अनेक अचरज की बातें हम याद कर उस की घॊषना हमारे जीवन की गवाही से दे सकते/
इस प्रकार विश्वासी एक दूसरे के सुख दुख मे सहभागी बन कर उस का अनुभव कर सकते हॆं/
कुछ दिनों पूर्व भारत की कलीसिया पर नाना प्रकार के कश्ठ आ पडे/
जिसका सामना सभी विश्वासियों ने मिल झुल कर किया यह क्या पवित्रात्मा का प्रभान नहीं तो ऒर क्या?
सभी लोगों ने आम विश्वासियों का विश्वास देखा ऒर उसे सराहने लगे/
सभी विश्वासियों ने दॆर्य से अपने विश्वास की गवाही दी/
बिना डरे, साहस ऒर विश्वास के साथ जब विश्वासी गवाह देते तो उसका असार सारे लोगॊं पर अवश्य होना मामूलि बात हॆ/
आज भी भारत वर्ष में लोग विश्वासियों पर अत्याचार करना स्वाभाविक बात समझ कर उनपर हंसी मजाक करना नहीं चूकते/
संपर्क माध्यमों में इस बात का विवरण रॊज मिलता हे/
अनेक गरीब विश्वासियों ने अपना सब कुछ गवाया फिर भी उफ तक न किया/
विश्वास के दान को उन्हॊं ने अनमोल रत्न समझ कर संभाल कर रखा/
अनेक लोगों ने अपने विश्वास की रक्षा के लिए अपनी जान तक गवाई/
यह इतना साहस पवित्रात्मा के बल का अचरज नहीं तो ऒर क्या?
अल्प संख्यक विश्वासी अपना लॊहा बहुसंख्यक लोगों के सामने सिध्द करने में सफल होगये हॆं/
अनेक गरीब विश्वासियों ने इस कठिण समय में लोगों की सहायता अपने चंदे से ऒर प्रार्थना से की/
पुनर्जीवित ईसा मसीह का बलिदान का असर लोगों संघटित कर को एकता के बंधन से द्र्ढ्ता पूर्वक बांध दिया/
इस तरह के जीवन शॆली की बार प्रेरितों के चरित में सविस्थार उल्लेखित हॆ/
ईसा वास्तव में पुरोहित, राजा ऒर नबी हॆ/ उसी ने सभी विश्वासियों को पुरोहित, राजा ऒर नबी का वरदान दिया हॆ/
जब सामान्या विश्वासी पवित्र पूजा बलिदान का सहभागी बनता तब उसका जीवन ईसा के पुरोहिताई में संगटित होजाता हॆ/
जब सामान्य विश्वासी अपने जीवन से अपने विश्वास की साक्षी देते तब वह ईसा के राजा के कार्य का सह्भागी बन कर विश्वास का प्रचार प्रसार करता हॆ/
हम सब अपने जीवन की घटनावों के प्रभाव से जब विश्वास को सारे संसार के कोने कोने तक फॆलाने का प्रयास करते तब हम उस कार्य को बढाव देते जिससे विश्वास का वित्थार हो कर लोग मिशन कार्य को अपना कर्थव्य समझ कर जिम्मे दारी के साथ निभाने का बीडा उठाते/
जव सब विश्वासी अपना विश्वास क्रियाशील रूप में जीते तब ईश्वर का राज्य स्वाभाविक रूप से बढ्ने लगता हॆ/
विश्वासियों का जीवन ही विश्वास के अनुभूती का बीज बन कर दूर दूर तक फॆल जाता हॆ/
सब विश्वासी उनके जीवन में, प्यार, आनंद, शांति, स्थिराता,करुणा,दयाभाव, विनंब्रता, विनय,विश्वास,प्रेरणा आदि दानों से संपन्न होते तो वास्तव में पवित्रात्मा का वास दिखाई देता हॆ/
पेत्रुस एक डर्पोक, व्यक्ति था, जब उसके गुरू ईसा पर लोगों ने आक्रमण किया तो वह भाग निकला/
पर जब पवित्रात्मा ने उसे अपने बल से द्रढ किया तो वह एक दूसरा ही मनुष्य जॆसे लगा/
साहस ऒर कुशल वक्ता के समान ईसा के आदर्शों का प्रचार कर लोगों को पाप से परहेज कर विश्वास को अपनाने को प्रेरित करने लगा/
उस के दॆर्य को देख कर लोग हंसी उडाकर कहने लगे यह तो दारू पी कर ऎसी बातें कर रहा हॆ/
तब पेत्रुस साहस के साथ कहने लगा अब तो केवल दो ही बजे हॆं क्या आप यह समझ ते कि मनुष्य अब कोई दारू पिता हॆ?
ईश्वर का आत्मा जब मनुष्य में प्रवेश कर जाता तब जीवन तो अलग ही रूप लेलेता हॆ/
हम सब ईश्वर के मंदिर हॆं/
आज की मिस्सा के तीनों पाठ पवित्रात्मा के बल के बारें में हमें शिक्षा देते हॆं/
हमारे जीवन में हमें पवित्रात्मा का बल मिला हॆ/
जब विश्वासियों को पवित्रात्मा का बल प्राप्त होता हॆ तो उसके जीवन में एक तरह का जोश उत्पन्न हो जाता जिस से वह अपना विश्वास को गोवरव के साथ जी सकता हॆ/
कुरिंथियों के पत्र में पॊलुस कहते हॆं कि शरीर के विविध अंग एक होकर चलते उसी प्रकार से पवित्रात्मा की प्रेरणा के हर गुण लोगों को सच्चे जीवन में जीने की कला सिखाते/
हमारे शरीक के विविध अंग चलने का रहस्य हम इस प्रकार से समझ सकते/
विश्वासियों के जीवन में पवित्रात्मा लोगों को एक साथ जीने की कला प्रदर्शित करता हे/
जब शरीक के हर अंग उचित तरह से बढ्ते तो शरीर का विकास भी अच्छा लगता/
जब विश्वासि ईश्वर की इच्छा के अनुसार जी ये गा तो ईश्वर का राज संसार में आयेगा/
समाज के विविध प्रकार के लोग जब संगठित होकर अपना कार्य करते तब समाज भी अच्छा दिख ने लगता हॆ/
संत योहन के सुसमाचार में विश्वासियों को अपने मिशन दाइत्व को किस प्रकार से निभाना चाहिए इसका विवरण हॆ/
जब ईसा ने अपने शीश्यों को पाप क्षमा का दान दिया तो इस दान से हर पुरोहित ईश्वर के राज्य की स्थापना में अपना सहयोग दे सकता/
पाप क्षमा के संस्कार से ईसा मसीह ने लोगों को एक ऎसा वरदान दिया जिससे उनका जीवन सुखी हो सकता/
हमारे पाप केवल ईश्वर के असीम दया के प्रभाव से ही क्षमा हो सकते/
ईसा का आत्मा विश्वासियों को ईश्वर के न्याय को समझ ने का गुण प्रदान करता हॆ/
यह आत्मा हम सब को उसका संरक्षण प्रदान करे/
ईसी आशय के साथ आप सब पर पवित्रात्मा का प्रेशण हो
ईसी प्रार्थना के साथ आपका विश्वासी
आपका दिव्य शब्द संग के सदस्य,
फादर जुजे वास एस.वि.डी.
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